नारी पूज्या या भोग्या
साझा कविता संकलन
भारत में नारी को पूज्य कहकर संबोधित किया गया है। स्त्री, औरत या नारी कही भी उनकी अपनी पहचान होती है। एक नारी का तन-मन किस प्रकार अलग-अलग भावनाओं के साथ जीने के अंदाज को रोजमर्रा के जीवन में रखती है वह हमेशा काबिलेतारीफ रही है। लेकिन कई स्थानों पर नारी को एक भोग की वस्तु के तौर पर देखा गया है जिससे समाज में एक तरह की विकृति पैदा हो रही है इसी विषय पर कि एक नारी पूज्या है या भोग्या पर नीलम प्रकाशन ने देश भर के नवोदित और प्रतिष्ठित कलमकारों से उनकी लेखनी मंगाकार एक संकलन के रूप में प्रस्तुत किया है।
नीलम प्रकाशन की तरफ से महिला दिवस पर आयोजित नारी पूज्या या भोग्या साझा संकलन में मुझे अपनी कविता भेजने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसमें मेरी दो कवितायें प्रकाशित हुई है:
१) महिला हिंसा और
२) मैं नारी हूँ।
यह दोनों कविता मेरी नारी के प्रति संवदना प्रकट करती है उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी।
प्रकाशित रचनाएँ
प्रकाशन समूह
सभी प्रकाशन समूहों का बहुत बहुत आभार और धन्यवाद ! उन्होंने मुझ जैसे नवोदित लेखक को अपने साहित्यिक कृतियों में जगह दी।
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