कटिहार अक्टूबर महीना म अस्तित्व म पचास साल पहले अइले छेलै, मतलब दु अक्टूबर के पचासवाँ स्थापना दिवस मनैलके। कटिहार र साहित्य, संस्कृति आरू इतिहास बहुते समृद्ध छै लेकिन आइज-काल र युवा को ई सब से कोई मतलब नै छै। ओकरा सीनी के खाली मोबाइल में यूट्यूब वीडियो आरू सोशल मीडिया से मतलब छै। जहाँ नया-नया फ़ोटो डाली क आपनो आप क बड़का कंटेंट क्रिएटर माने छै। हक़ीक़त म इ सब यहाँ वहाँ कुछु-कुछु कॉपी पेस्ट करी क पोस्ट करी दै छै। इतिहास से केकरो मतलब नै छै आरू साहित्य कहाँ जे रहले छै केकरो कोई मतलब नै छै। सरकारी तौर पर भी कुछु बात सही दिशा म कहो त नै बढ़ी रहले छै।
आवो तनी कटिहार र बारे म जानलो जे। ई जिला र नाम दिघी-कटिहार जे पुरना शहर छेलै ओकरे नामो पर राखलो गेले छेलै। मुगल शासन जब छेलै त तेजपुर सरकार ई जिला र स्थापना भेले रहै। १७७० म जब मोहम्मद अली खान यहां गर्वनर रहे तभिये ब्रिटिश ई जिला क छीनी लेलकै रहे। ओकरो बाद ब्रिटिश र समय एकरा अनुमंडल र दर्जा दे के पुर्णिया जिला म जोड़ी देलकै। दु अक्टूबर १९७३ क ई जिला पूर्णिया से अलग करी क नया जिला बना देलकै। कटिहार र त्रिमोहिनी संगम जे कुर्सेला र पास छै जहाँ गाँधी जी र अस्थि १२ फरवरी १९४८ में बहएलो गेले छेलै। ई सौभाग्य बहुत कम जगह क प्राप्त छै जहाँ गाँधी जी र अस्थि प्रवाहित भेले छेलै। यहाँ तीन नदी गंगा, कोशी आरू कलबलिया नदी र संगम छै, कलबलिया नदी जे लगभग ३२ किलोमीटर र सफर करै छै येहा संगम पर गंगा म मिली जै छै। त्रिमोहिनी संगम भारत म सबसे बड़का उत्तरायण गंगा र संगम छै। गंगा नदी यहाँ दक्षिण स उत्तर दिशा म बहै छै। और येहा वजह छै की यहाँ जब गंगा पर भोरका सुरजो र किरण पड़ै छै त एतना सुंदर देखै म लागै छै जेकरो बारे म कहलो जै छै की एतना सुंदर गंगा भोरे भोरे कही नै लागै छै। नेपाल से निकले वाला सप्तधारा र कोशी यही आवी क मिलै छै।
सिक्ख र नौवां गुरु जी श्री तेग बहादुर र यादों म लक्ष्मीपुर म गुरुद्वारा स्थापित छै। ई गुरुद्वारा म गुरुजी स संबंधित बहुत सारा धरोहर सुरक्षित छै। १६६६ म गुरुजी यही एगो गाँव छै कांतिनगर नाम स वही अइले रहै।
गंगा नदी र नजदीक मनिहारी स २.५ किलोमीटर दुरो म बल्दीबाड़ी नामो र गाँव छै। येहा जगह छै जहाँ मुर्शीदाबाद र नवाब सिराज-उद-दौला आरू पूर्णिया र गवर्नर नवाब शौकत गंज र बीच म युद्ध भेले छेलै।
गोगीबील झील बहुत बड़का अउर खूबसूरत झील छै जहाँ देश विदेश स सालो भर पक्षी आवे छै। पूरा साल यहाँ अलग अलग प्रजाति र पक्षी ऐतै रहे छै खास करी क नवंबर स फरवरी तक रूस से पक्षी बहुत बड़का संख्या म आवे छै जेकरा म बहुतायत म राजहंस और लालसर नामो र पक्षी एतै रहे छै। कुछ सालों से सरकार आवे ई झील के खूबसूरत बनावे ल काम करी रहलै छै।
कटिहार स दक्षिण म मनिहारी नामो र अनुमंडल शहर छै जेकरो बारे म कहलो जै छै की पौराणिक कथा र अनुसार यही भगवान कृष्ण र मणी र आभूषण गिरी गेलै छेलै जेकरा खोजे ल भगवान खुद यहाँ अइले छेलै येहा वजह स यहाकरो नाम मनिहारी पडले छेलै।
कल्याणी झील झौवा स्टेशन स पांच किलोमीटर उत्तर म ई झील छै। यहाँ हर साल माघ महीना म पूर्णिमा म मेला लागे छै लोग लाखो र संख्या म नहावे ल आवे छै। ऐसे के त यहां लोग सालो भर आवे छै लेकिन माघ महीना र पूर्णिमा काफी खास मानलो जै छै। यहां कल्याणी माता र मंदिर छै और एक पुरनका शिवलिंग छै जेकरो बारे म आस पास लोगो र कहना छै कि ई शिवलिंग दिनों दिन बढै छै।
कटिहार जिला म नदी र कमी नै छै लेकिन आय काल सभे नदी गर्मी म लगभग सुखी जै छै। लेकिन बारिश शुरू हेतै चारो तरफ पानी भरी जै छै। महानदी र की कहलो जै ई नदी कटिहार र बीचो बीच बहे छै लेकिन एकरो खासियत यहां मिले वाला मछली छै, एतना रंग बिरंगा आरू स्वादिष्ट मछली मिले छै की मत पूछो। जूट र फसल यहाँ खूब है रहे लेकिन आय काल कम भाय गेले छै। आय काल मक्का र जमाना छै इतना मकई है छै की बड़ा मुश्किलों स कोनो खेत म दोसरो फसल मिळतो। धानों भी खूब है छै। मखाना त पूछो मत अभी बारिश र समय हर जगह मखाना नजर आवी जैतो। एक जमाना रहे रंग बिरंगा सरसों खूब है रहे। कोशी र वजह से बाढ़ त हर बार झेले छै, पढ़ाई लिखाई र माहौल पहले से बहुत बढ़िया रहे लेकिन हमेशा पढ़ाई लिखाई म पिछड़ा ही रहले लेकिन जे भी बच्चा यहां स बाहर निकली गेले समझो कुछु करी क अइले। शिक्षा म पिछड़ा रहला र बाद भी शुभम कुमार आईएएस म टोपर भेले छेलै।
ई जिला हमेशा शांत रहले कभी कोनो बड़का कांड नै भेले। हरियाली कटिहार र पहचान छै जिनने जेभो उन्हेँ हरियाली नज़र आवी जैतो। हमरो बोली एकदम अलग छै कही भी जा अलग नज़र अयतोह। बिहार र प्रेमचंद र नाम से अनूप लाल मंडल जी र जन्मभूमि कटिहार र समेली म छै, लेकिन जेतना ओकरा सम्मान मिलना चहियों नै मिलले।
कटिहार र संस्कृति, साहित्य आरू इतिहास काफी मजबूत आरू सक्रिय रहै समय छै हमे सिनी क एकरो बारे म लिखे आरू बोले र पड़ते तभै कटिहार र बारे म लोग जानते।
©️✍️ शशि धर कुमार
शिक्षा: बी.ए. (अंग्रेजी), सूचना प्रौद्योगिकी स्नातक, कंप्यूटर एप्लीकेशन में उन्नत स्नातकोत्तर डिप्लोमा, डिजिटल मार्केटिंग में मास्टर, डिजिटल मार्केटिंग में सर्टिफिकेट, कैथी, प्राकृत, ब्राह्मी और संस्कृत में सर्टिफिकेट
लेखन विधा: हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और कैथी में कविता, लेख, कहानी, आलोचना, पुस्तक समीक्षा आदि प्रकाशित
प्रकाशित कृतियां: व्यक्तिगत कविता संग्रह “रजनीगंधा” के साथ-साथ कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में 200 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
सम्मान और पुरस्कार: राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान, श्री मंगरेश डबराल सम्मान, श्री उदय प्रकाश सम्मान, मुंशी प्रेमचंद स्मृति सम्मान, एसएसआईएफ ग्लोबल पीस अवार्ड 2023, मानवाधिकार पुरस्कार 2023, राष्ट्र सेवा पुरस्कार 2024, सामाजिक प्रभाव पुरस्कार 2024 और विभिन्न संगठनों द्वारा 20 से अधिक पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित।